दिल की आवाज-मधुमिता

Madhumita

दिल की आवाज

आवाज है, ये मेरे दिल की 
मैं बनके बादल इस धरा पर बरस जाऊँ 
मैं बनके सावन की घटा खेतों पर छा जाऊँ 
मैं अपनी इस पावन धरती पर सोना उपजाऊँ

आवाज है, ये मेरे दिल की 
निराश मन में आशाओं के दीप जलाऊँ
अश्रु खुशी के बन नयनों से छलक जाऊँ 
उदास चेहरे की मैं सुन्दर मुस्कान बन जाऊँ

आवाज है, ये मेरे दिल की
रौशनी बनकर उदास मन के जहान को गुलजार कर जाऊँ 
मैं बनके फरिश्ता सर्व आत्माओं पर शांति की किरणें बरसाऊँ 
मैं बनकर शक्ति रूप हर आत्मा को रोग- शोक मुक्त कर जाऊँ

आवाज है, ये मेरे दिल की
प्रेम और खुशहाली की दुनियाँ बसाऊँ 
स्वास्थ्य धन से भरपूर जहाँ बनाऊँ 
स्वर्ग से भी सुन्दर धरा बनाऊँ

आवाज है, ये मेरे दिल की
शांति की नगरी इस जहाँ को बनाऊँ
आनंद और उत्सव के रंगों से इसे सजाऊँ
मैं बनकर खुशबू इस जहाँ को महकाऊँ
उमंग उत्साह के पंखों से दूर गगन में उर जाऊँ
आवाज है, ये मेरे दिल की।

मधुमिता
मध्य विद्यालय सिमलिया बायसी
पूर्णिया (बिहार)

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