दीपोत्सव-दिलीप कुमार गुप्त

Dilip gupta

Dilip gupta

  दीपोत्सव

झिलमिल झिलमिल दीप जले
अन्तस तिमिर संताप छँटे
सद्भावों के धवल व्योम तले
अवनितल मैत्री सुमन खिले।

ज्ञानालोक अपरिमित पाये विस्तार
सदाचार हो मानवता का आधार
तिरोहित हो कलुषित द्वेष अहंकार
सुदीप्ति निखरित हो सुन्दर संसार।

परिष्कृत हो मानवीय नव जीवन
अनैतिक का न हो महिमा मंडन
सघन निशा के उस पार
चिर प्रतीक्षित अरुणोदय का हो वंदन।

चतुर्दिक हो शांति की छाया
आलोकित हो मन मंदिर की काया
चेतन चिन्मय का आनंदित उपवन
सुरभित हो सब अन्तर्मन।

आओ! मिल स्तुति गान करें
विनती प्रार्थना जय गान करें
अखिल विश्व को कर आलोकित
दीपोत्सव का यशोगान करें।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी, अररिया

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