दुआएं भी असर करता… एस.के. पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
विधा:-विधाता छंद।
(दुआएं भी असर करता)

चली ठंडी     हवा साथी,
रहें छुपकर निलय में ही।

दिवाकर राह      मोड़े हैं,
गगनचर भी शरण में ही।

रहे खुशहाल हर पल वह,
ढका निर्धन गरम  पट से।

गरम थी चाय का प्याला,
मिली गर्मी उसे   झट से।
(2)
गरीबी ने   रुलाया   जब,
बदन भींगा तुहिन से ही।

खुले आकाश    के नीचे,
गुजारी रात      भूखे ही।

न गिरते अश्क आँखों से,
दिये होते    दिलासे  ही।

दुआएं भी   असर करता,
गरीबों के      भरोसे  ही।

एस.के.पूनम।
सेवानिवृत्त शिक्षक, फुलवारी शरीफ, पटना

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