दुर्लभ गुरु ज्ञान – जैनेंद्र प्रसाद रवि

दुर्लभ गुरु ज्ञान है

मित्र-पुत्र माता-पिता-
मिलते हैं सौभाग्य से,
गुरु तो साक्षात कृष्ण, राम के समान हैं।

हजारों जन्मों का पुण्य-
जब फलीभूत होता,
गुरु की कृपा से होता, मूर्ख ज्ञानवान है।

हमारी शंकाओं का भी-
करते हैं समाधान,
हरेक समस्याओं का, मिलता निदान है।

सामर्थ्यवान सद्गुरु-
यदि हमें मिल जाएँ,
मनुष्य के जीवन में, हो जाता कल्याण ह

पद-पैसा यश-मान-
उद्यम से मिलता है,
अत्यंत दुर्लभ होता, पर गुरु ज्ञान है।

रामकृष्ण नरेंद्र को,
कर्ण को परशुराम,
अर्जुन को माधव से, मिला गीता ज्ञान है।

अज्ञान को दूर कर-
शुभ ज्ञान भरते हैं,
जग में अनेकानेक, मिलता प्रमाण है।

ज्ञान रूपी पारस से-
मूल्यवान बना देते,
महिमा गुरु की गाता, समूचा जहान है।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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