गणित की आकृति-धीरज कुमार

Dhiraj

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गणित की आकृति

आओ बच्चो आज पहचाने गणित की आकृति।
आस-पास में देख कर पहचान कर लो तुम भी।

गोल-गोल दिखती है मेरे मम्मी की रोटी।

रोटी की आकृति को कहते हैं हम वृत्त।।

पापा कमाते नोट हैं लाते, नोटों की करनी है गिनती।

नोट की आकृति को कहते हैं हम आयत।।

दादा जब साथ में रहते, खेलते लूडो और शतरंज।

लूडो और शतरंज की आकृति को कहते हैं हम वर्ग।।

रसोई घर में दादी जब आती, तिकोना पराठा हमें खिलाती।

पराठे की आकृति को कहते हैं हम त्रिभुज।।

भैया आते, फुटबॉल साथ लाते।

फुटबॉल के साथ हम खेला करते।

फुटबॉल की आकृति को कहते हैं हम गोला।।

दीदी जब जन्मदिन पर आती।

बर्थडे की टोपी पहनाती।

बर्थडे की टोपी की आकृति को कहते हैं शंकु।।

मजा तुम्हे भी आया होगा, है मुझको विश्वास।
देखकर पहचान भी लोगे तुम बच्चो हो सब खास।।

धीरज कुमार
UMS सिलौटा भभुआ कैमूर

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