गुदड़ी के लाल
दो अक्टूबर को जन्मे थे एक गुदड़ी के लाल
नाम का पहला अक्षर भी उनका है लाल
बचपन में नदी तैर कर जाते थे वे पढ़ने
संध्याकाल पोल लैम्प में ज्ञान थे गढ़ते
एक मात्र धोती ही उनका अंग वस्त्र था
“कर्म ही पूजा है” मानो उनका अस्त्र था।
आजादी के काल में देश सेवा में भी जुटे रहे
क्रांतिदल के एक मजबूत सिपाही बन डटे रहे
शिक्षा और देश सेवा इनकी पहचान रही
स्वतंत्रता प्राप्ति तो इनके निगेहबान में रही।
सादा जीवन उच्च विचार के सदा रहे हिमायती
उच्च पदासीन रहते हुए जीवन जीया किफायती
तभी इनको एक नाम मिला “गुदड़ी के लाल”
नाम का पहला अक्षर भी इनका है लाल
अपने नाम को सदा ही वे सार्थक करते रहे
देश सेवा के लिए ही लड़ते और जीते रहे।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री का जब हुआ था निधन
इनके नाम का हुआ तब प्रधानमंत्री का उदबोधन
देश को दिया “हरित क्रांति” का एक नया रुप
कृषक जगत को दिया एक नया क्रांति स्वरुप
लाल किले की प्राचीर से उन्होंने संबोधन किया
देश के जवानों और किसानों के लिए नारा दिया
“जय जवान जय किसान” ये हैं भारत की शान
इन पर सदा ही रहेगा देश की अपनी ही आन।
उस काल में अनाज की जब हुई थी भारी किल्लत
जन मानस के जीवन यापन में भी हो रही थी जिल्लत
गेहूं की कम उपज पर सबसे मांगी थी एक शाम का व्रत
तब उनकी एक बात पर रखने लगे लोग एक शाम का व्रत
तब भारत के घरों में नहीं पकते से एक सांझ का भोजन
लोग बीता देते थे रात और गाते रहते थे प्रकृति के भजन।
देश का यह लाल चमक-दमक से सदा ही दूर रहें
प्रधानमंत्री के पद को सार्थक व परिपूर्ण करते रहे।
प्रधानमंत्रित्व काल में एक अनोखी घटना है घटी
इनकी बातें सुपुत्रों और लोगों के दिमाग में है अटी
प्रधानमंत्री की कार को इनके सुपुत्र ने उपभोग किया
पुत्र ने इस पिता के हृदय को पूरा ही झकझोर दिया
पता चला कि पिता ने पुत्र को कृत शासन पाठ पढ़ाया
आचार-विचार, कर्त्तव्य-बोध भी पुत्र को खूब सिखाया
कार में हुई पेट्रोल खर्च की भरपाई अपने वेतन से की
पुत्र तो स्तब्ध रह गए पिता के इस शासन व्यवहार की।
धन्य है यह देश की ऐसे महान लाल को जन्म दिया
एक अनहोनी या काल ने उनको हमसे छिन लिया
ताशकंद में ही शासकीय भवन में हृदयाघात आया
सदा सदा के लिए देश का लाल नेपथ्य में चला गया
न मौत की गुत्थी सुलझी और न ही उस दिन के राज
चला गया सच्चा जनसेवक याद आते हैं अब भी आज।
अल्पकाल के कार्यकाल में जमा दी विश्व में अपनी धाक
ताशकंद समझौते से भौ़ंचक्के रह गया था तब का “पाक”
नमन है इस युगपुरुष को सदा रहेंगे आप स्मृतियों में
कालजयी हैं इनकी गाथाएं सदा रहेंगे अनुभूतियों में।
✍️सुरेश कुमार गौरव
स्वरचित और मौलिक
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