गुरू की महत्ता
अगर न होते गुरू जहाँ में,
ज्ञान का दीप जलाता कौन?
सत्मार्ग पर चल पड़ने की,
राह हमें दिखलाता कौन ?
अनुशासन की बात बताने,
इस वसुंधरा पर आता कौन?
हर चुनौतियों को जीतने की,
हिम्मत मुझमें जगाता कौन?
परोपकारिता व कर्तव्यनिष्ठता,
यह सब मुझको बतलाता कौन?
धर्म, कर्म और पितृजनों की,
सीख हमें दे जाता कौन ?
मार्गदर्शक बनकर नित्य दिन,
उलझन मेरी सुलझाता कौन?
मेरी नैया के खेवनहार बन,
साहिल को पार कराता कौन?
जग में मैं ऊँचा नाम करूँ,
इस काबिल मुझे बनाता कौन?
अगर न होते गुरू जहाँ में,
जीवन के तमस भगाता कौन?
शिक्षित कर देश, समाज के,
अंधियारी को मिटाता कौन?
गुरू बिना सब शून्य यहाँ पर,
प्रेम, सुधा बरसाता कौन ?
नूतन कुमारी (शिक्षिका)
डगरुआ, पूर्णियाँ
बिहार
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