गुरू की महिमा अपरम्पार
गुरू ब्रह्मा है गुरू विष्णु है
गुरू ही है भगवान महेश,
गुरू ही ज्ञान की गंगा बहाते
गुरू संगत मिट जाते क्लेश।
गुरू बिन ज्ञान न हो शिक्षा
गुरू बिन जीवन है अंधकार,
गुरू ही संशय को दूर भगाते
गुरू की महिमा अपरम्पार।
गुरू ही सच्चे पथ प्रदर्शक
गुरू ही होते करूणानिधान,
गुरू कुण्डलिनी शक्ति जगाते
गुरू कृपा शिष्य बनते महान।
गुरू ही शिष्टाचार सिखाते
गुरू ही करते है कल्याण,
गुरू के बिना जीवन अधूरा
गुरू को कोटि-कोटि प्रणाम।
गुरू तो ईश्वर समान होते
गुरू बिना सूना यह संसार,
गुरू चरणों की करते वंदना
गुरू का सानिध्य है उपहार।
गुरू दूर करे मन का तमस
गुरू चरणों में चारो धाम,
गुरू ही हमें गुणवान बनाते
गुरू कृपा से चमके नाम।
@रचनाकार-
नरेश कुमार ‘निराला’
सहायक शिक्षक
छातापुर, सुपौल