हाथी राजा
हाथी राजा अड़े बड़े,
सूंढ उठाकर कहां चले।
लंबे लंबे कद है इनका,
झुमते हुए चले पड़े।।
पत्ते हैं इनका आहार,
लंबे सूंढ से करते प्रहार।
शाकाहारी है यह प्राणी,
चिघाडना है इसकी वाणी।।
लंबे लंबे दांत वाले,
घास फूस का करते निवाले।
विशालकाय शरीर वाले,
मानव अपने बस में कर डालें।।
सर्कस में अपना करतब दिखलाता,
सवारी के कामों में आता।
कभी-कभी यह जब बिगड़ जाता,
ऊंट ही है इसे मनाता।।
नदी पोखर में जाता,
भर भर सूंढ खूब नहाता।
बहुत सारा केले खाता,
फिर भी इसका पेट नहीं भरता।।
अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया नुआंव कैमूर
0 Likes