हे भारतभूमि तुम्हें नमन
तू स्वर्ग से भी प्यारी हो,
माँ के जैसी हीं न्यारी हो,
बिना भेदभाव के हर प्राणी के,
जीवन को तू हीं संवारी हो l
प्यासे जीवों को तेरी नदियाँ,
निर्मल जल दिया करती है l
भूखे लोगों को तू अन्न देकर,
शांत क्षुधा तू करती है l
हर प्राणी पे समभाव से,
करती हो तुम प्रेम अर्पण l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन l
तेरी हीं पावन धरती पर,
महान संत भगवंत हुए l
महापुरुषों का अवतरण हुआ,
कई धर्म यहाँ फलीभूत हुए l
जहाँ सदाचार की खुशियाँ फैली,
और दुराचार का हुआ है अंत l
धर्म का जहाँ उत्थान हुआ,
अधर्म का जहाँ हो रहा पतन l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन l
विभिन्न संस्कृति, विभिन्न भाषाओं ने,
तुझसे हीं तो निज रूप लिये l
जिसकी कल्पना जगत को न थी,
तेरे घर ऐसे आविष्कार हुए l
महात्मा गांधी जी के सत्य अहिंसा के कारण,
फिरंगी भी नतमस्तक हुए l
जहाँ देश के रक्षा की खातिर,
करोड़ों वीर शहीद हुए l
जहाँ कर्मवीर के कर्म से चमके,
विश्वगुरु भारत का चमन l
जहाँ भारत माँ की जयकारों से,
मंहक रहे हैं पवन l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन l
जहाँ बहती गंगा-यमुना की धार,
महिमा जिसकी अपरम्पार l
हिमालय है जिसका पहरेदार,
सेना करती है जिसकी रखवार l
जिसकी गोद में खेले बुद्ध,
रहती जहाँ की वायु शुद्ध l
जहाँ अतिथि देवों के समान,
जहाँ धर्म में सबके बसते प्राण l
जहाँ होते हमेशा यज्ञ अनुष्ठान,
विविधता में एकता जहाँ की पहचान l
जिसकी पावन धूल कण का ,
सभी देव लगाते हैं चंदन l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन l
तेरी ममता की छाया में,
जांति-पांति का भेद नहीं l
जहाँ हर कोई भारतवासी है,
इक-दूजे के विश्वासी हैं l
मिल-जुलकर रहते लोग जहाँ,
जन्नत सा सुख मिलता है जहाँ l
जहाँ परोपकार का भाव लिए,
सहायता करते हर इंसान l
जहाँ कर्म को हीं पूजा कहते,
इमान को कहते हैं भगवान l
इक-दूजे के खुशियों से खुश रहते,
पर दुख पर करते हैं क्रंदन l
हे ! भारत भूमि तुम्हें नमन l
कर्म प्रधान है तेरी धरा,
तेरी चुनरी का है रंग हरा l
जहाँ सत्य हर बच्चों की जुबानी है,
जहाँ आजादी की अमिट कहानी है l
जहाँ वीर हैं सुभाष और भगतसिंह,
वीरांगना झाँसी की रानी हैं l
जहाँ “वन्दे मातरम्” की जयकारों से,
गूँजे तेरी गलियां और गगन l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन l
हे! भारत भूमि तुम्हें नमन ll
मनु कुमारी
पूर्णियाँ बिहार