काशक फुल
धरती पर जब सरदक पइैन झरिक गेल,
हवा हलर-हलर बहि रहल,
ओकर संग गामक गाछ-बिरिछ झूमि-झूमि उठल,
तखन हरियर खेतक बीच सँ
सफेद आ नीलल उजासक झलक द’ रहल अछि –
काशक फुल।
काश,
जकर कोमल पाक उज्जर कंचुक जकाँ,
सजाइ दैत छै नदीक किनार,
दूर-दूर धरि पसरल, मानू धरतीक मुस्कान।
गामक पथार पर जे खोंजा उठल
ओहि कांठ सँ घूरि तकलहुँ—
धूम-धूम करैत हवा संग खेलैत
एहन बुझाइत जे धरतीक आत्मा
आकाशक संग मिलन मना रहल होक।
काशक फुल में अछैत
निर्मल मासूमियत,
कनी-भरि दुखकेँ विसरयबाक ताक़त।
जेना अपन जीवन छोट आ अस्थायी बुझैत हो,
तथापि श्वेत चीर जेकाँ सजाय दैत
धरतीकेँ नव रस आ नव रंग सँ।
तभी त
गामक कन्या अपन गीत में
काशक फुलक उपमा लैत अछि,
आ पुआल छानल घरक अँगनामा
पुर्बा फुंकैत समे
एहि फुलक संग बुनैत अछि—
अपन सपनामय गाथा।
हिंदी अनुवाद :-
काश का फूल
धरती पर जब शरद की हल्की बारिश उतर आई,
हवा धीरे-धीरे बहने लगी,
गाँव के पेड़-पौधे झूम-झूम उठे,
तभी हरे खेतों के बीच से
सफेद और नीले उजास की झलक दिखने लगी –
काश का फूल।
काश,
जिसकी कोमल पंखुड़ियाँ उजली चुनरी जैसी,
नदी के किनारों को सजाती हैं,
दूर-दूर तक फैली हुई, मानो धरती की मुस्कान।
गाँव के पथ पर चलते हुए
जब मैंने मुड़कर देखा—
झूम-झूमकर हवा के संग खेलते फूल ऐसे लगे
जैसे धरती की आत्मा
आकाश के संग मिलन मना रही हो।
काश का फूल
निर्मल मासूमियत का प्रतीक है,
थोड़ी देर के लिए भी दुख भुला देने की शक्ति रखता है।
यूँ लगता है मानो जीवन छोटा और क्षणभंगुर है,
फिर भी अपनी सफेद चादर से धरती को
नए रस और नए रंग से सजा देता है।
इसीलिए तो
गाँव की कन्या अपने गीतों में
काश के फूल की उपमा लेती है,
और पुआल-छाने घर के आँगन में
जब पुरवैया बहती है—
तो इस फूल के संग बुनती है
अपने सपनों की मधुर गाथा।
