कर्मठ संस्कारी बच्चे
बाल सृजन
रूप घनाक्षरी छंद में
कर्मठ संस्कारी बच्चे,
कहलाते हैं वे अच्छे,
सबसे अलग निज, बनाते हैं पहचान।
सुबह सवेरे जाग-
व्यायाम करते जो,
पौष्टिक आहार लेते, बन जाते बलवान।
नियमित सारणी से-
अपनी पढ़ाई करें,
परिश्रम कौशल से, सफल होता इंसान।
भगत-आजाद-गांँधी,
सुभाष-प्रताप-शिवा,
साहस व लगन से, सभी बने हैं महान।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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