कौन? रत्ना प्रिया


नित्य कर्म करती है प्रकृति पर,
रहती है शाश्वत मौन,
कई प्रश्न उठते हैं मन में,
इसका उत्तर देगा कौन ?

नित्य समय पर दिनकर आता,
प्रकाश का अक्षय भंडार,
इस जगती के हर प्राणी में,
हो रहा ऊर्जा संचार,
प्रभाकर के अक्षय स्रोत में,
इतनी ऊर्जा भरता कौन ?

नीले नभ में चंदा-तारे,
टिमटिमाते जुग्नु सारे,
भू-लोक में क्यों न आते,
ज्यों रूठे हों हमसे प्यारे,
इन तारों को आसमान में,
माला-सी पिरोता कौन ?

पुष्पों में वह हास भरी है,
सुगंधित सुवास भरी है,
विश्व-धरा पर हैं मुसकाते,
बच्चे देख खिलखिलाते,
इन मधुपों को रस पीने को,
निमंत्रण देता है कौन ?

  • रत्ना प्रिया – शिक्षिका (11 – 12)
    उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
    चंडी ,नालंदा
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