मधुमय देश बनाना है
सुरभित सुंदर संस्कार का अद्भुत देश हमारा है,
भगत सिंह गाँधी सुभाष संग हमने भी दिल हारा है।
तरुणाई के प्रखर शौर्य को जनहित में रचने के लिए,
इस अवनी के अंधकार को हमने तो ललकारा है।
वीर सपूतों की थाती है क्रांति गीत की पाती है,
हमने उनकी क्रांति रश्मि को उषा किरण वन वारा है।
उठो चलो कि इस धरती का निश्छल नीरव प्राण बनें,
सर्वस्व न्योछावर कर हम सबको क्रांतिदूत बन जाना है।
क्यों ममता के आँचल में विषधर अबतक विषपान करे,
विषधर के समूल शमन को हम सबने अब ठाना है।
नहीं हुई है देर अभी भी, क्रांति अभी अधूरी है,
मातृ भूमि के कष्ट हरण को क्रांति सही ठिकाना है।
नहीं मिलेगा चैन तनिक भी शांति नहीं मिले पल भी,
जब तक जन जन के आंगन में देश प्रेम लहराना है।
जन जन आनंद, निश्छल निर्मल निर्विकार मन रचने के लिए
कण कण, तृण तृण मोहक मधुमय अपना देश बनाना है।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार