मैं बहती बन जाऊँ सरिता
मैं जीवन में लाऊँ ललिता
मैं झुंड यहाँ देखूँ कितने
मैं ढूँढ रहा खुद के सपने
मैं उतर सकूँ गहराई में
मैं अपनी ही परछाई में
मैं कैसे तोड़ूँ भँवर-जाल
मैं छोड़ दिया सारा मलाल
मैं अपनों के खातिर बोलूँ
मैं शब्दों में मधुरस घोलूँ
मैं नित नूतन करना चाहूँ
मैं पथ नवीन गढ़ना चाहूँ
मैं अविरल धारा के जैसे
मैं रोक सकूँ खुद को कैसे
मैं कर्म सदा ही करता हूॅं
मैं मरने से कब डरता हूॅं
मैं राष्ट्र धर्म को अपनाया
मैं प्रेम सभी को सिखलाया
मैं करता क्रंदन कभी नहीं
Ok करूँ समर्पण कभी नहीं
मैं कफन बाँधकर चलता हूँ
मैं अक्सर आग उगलता हूँ
मैं घायल हूँ जज्बातों से
मैं बचूँ अगर आघातों से
मैं नभ को छूने जाऊँगा
मैं ध्वज वही फहराऊँगा
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
