मेरे गांँव की मिट्टी
बहुत पावन है मेरे गांँव की मिट्टी
जिससे सदा सोंधी खुशबू आती है
हम तुझ से दूर ज़रूर हो लिए
मगर तेरी याद हमें बहुत सताती है
तेरी आंँचल में है मैंने जो खेला
वो लम्हा भुलाई नहीं जाती है
तू जब माथे से चिपकती है मेरे
तुझसे चंदन की खुशबू आती है
तेरी खुशबू जो एक बार पाले
तू उसे मंत्रमुग्ध कर जाती है
तेरे साथ में गुज़रा है जो बचपन
एक साथ सारी छवि आ जाती है
कोई कितना भी संभाले मन को
वापस तू उसे खींच हीं लाती है
जब जब है आता कोई त्यौहार
मुझको तेरी कमी खल जाती है।
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर बिहार
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