महादेवी स्त्रोत
नमो दिव्यै निराकारा ।
महा दिव्यै शिवाकारा।।
त्वमेका दृष्टि पथ गामी
त्वमेका सृष्टि अविरामी
त्वयि सीता च सावित्री
त्वयि गीता च गायत्री
त्वमेका ही सुधा धारा।
महा दिव्यै शिवाकारा।।
प्रकृति: त्वया पुरुष एका
विविध रूपे व्याप्त लोका
त्वयि कृष्णा त्वयि राधा
त्वयि मुक्तिं सकल बाधा
त्वयि रूपं त्रिगुणाकारा।
महा दिव्यै शिवाकारा।।
कराली त्वम् महामाया
त्वमेका ही प्रकट छाया
रसे रूपे शब्द स्पर्शे
च गंधे विचार विमर्शे
दुष्टै: कृत हाहाकारा।
महा दिव्यै शिवाकारा।।
अबोधम् त्वम् प्रबोधम् त्वम्
विज्ञातुम् त्वम् शोधम् त्वम्
त्वमेका मम् क्लेश हरणम्
मुक्तिहेतु नमामि शरणम्
मातु कुर्म: चित विहारा।
महा दिव्यै शिवाकारा।।
रचनाकार: राम किशोर पाठक:
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