नारी तु नारायणी-रीना कुमारी

Rina

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नारी तु नारायणी

नारी तुम्हीं त्यागमूर्ति, तुम्हीं नारायणी हो,
तुम्हीं दूर्गा, तुम्हीं देवी कत्यायनी हो।
तुम्हीं अम्बे, तुम्हीं जगत महरानी हो,
तुम्हीं दुःख भंजनी, तुम्ही तो कष्टहारिणी हो,
तुम्ही सृष्टिरचिता, तुम्हीं जगतारणी हो।
शांति और प्रेम की सुन्दर वरदायनी हो।
तुम्ही हो सबला तुम्ही तो कमला रानी हो
नारी तुम—————-

तुम्हीं आदर्श, सत्य, अहिंसा सबकी उदाहरणी हो।
अपने पिता की राजकुमारी और राजनंदनी हो।
ममता और प्यार के लिए सदा ही क्रंदणी हो।
अपने पति की तुम रानी और अर्धांगनी हो।
अपने संतानों की तुम ममता मयी जननी हो।
अपने परिवार के लिए नारी कल्याणी हो।
तुम्हीं हर प्राणी में जीवन दायनी हो।
नारी तुम————

तुम्हीं सीता सावित्री, तुम्हीं सति अनुसुइया नारी हो।
तुुम्हीं लक्ष्मीवाई, नूरजहाँ, तुम्ही तो ह्यदया रानी हो। 
तुम्ही राधा, तुम्ही मीरा तुम्ही
ईश्वर की भक्त प्यारी हो।
तुम्हीं तो वीर सिपाही की वीर पत्नीब्रत धारी हो।
तुम्हीं माँ की ममता,तुम्ही ऑखोँ की प्यारी हो,
तुम्हीं तो रक्षक हो घर की, तुम्हीं तो चहारदिवारी हो।

नारी तुम—————-

अपार खुशियों को तुम वरसाने वाली हो।
तुम्हीं तो प्रेम-सुधा सरसाने वाली हो,
तुम्हीं माता बन शिशु को अमृत पिलाने वाली हो।
मधुर प्यार और ममता कोलुटाने वाली हो।
सुख-दुःख को सहर्ष अपनाने वाली हो।
कष्टों को सह सघर्ष पथ पर
चलने वाली हो।
तुम्हीं दोनों कुल की मर्यादा रखने वाली हो।
सच में नारी तुम बहुत ही बलशाली हो।

रीना कुमारी (शिक्षिका)
प्रा० वि० सिमलवाड़ी प० टोला
बायसी पूर्णियाँ
विहार

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