नया साल
देखो साल नया आया ऐसा
खुशियाँ लाई वर्षा के जैसा।
चारों ओर हैं हरे-भरे
नाचे मोर भी खड़े-खड़े
दीप-शिखा भी डोल रहे
बागों में कोयल बोल रहे
नया रंग भी आया ऐसा
देखो साल नया आया ऐसा
खुशियाँ लाई वर्षा के जैसा।
घर आंगन भी खिल रहा
गिले-शिकवे सब भूल रहे
ममता की लोड़ी में अक्सर
भूल गया वह लिखना अक्षर
नयी चाहत की मुस्कान लाया ऐसा
देखो साल नया आया ऐसा
खुशियाँ लाई वर्षा के जैसा।
वन-उपवन की रूप नया
द्वेष-राग को दूर किया
वह कलरव की बोल भी प्यारी
संग दर्पण के रूप है न्यारी
वह धूप भी छाँव लाया ऐसा
देखो साल नया आया ऐसा।
मन पथिक का जाग उठा
नव उदय और भाग्य जगा
ख्वाईशें की हम बिखेरे चादर
कर नमन शीश झुकाकर आदर
गगन भी फूल बरसाया ऐसा
देखो साल नया आया ऐसा
खुशियाँ लाई वर्षा के जैसा।
भोला प्रसाद शर्मा
पूर्णिया (बिहार)