गे बहिना लागलै पुस्तक मेला रेणु उद्यान गे चल करबै पुस्तक दान गे ना। करबै सबकियो पुस्तक दान गरीब पढतै बढ़तै सबकेअ ज्ञान गे बहिना दान करले सेअ खुश हेतौ…
प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी वर्षा ऋतु आने पर, नदी नाले भरे जाते, आनंद से रहती है मछली तालाब में। लोगों की नज़र बीच, छिपाने से छिपे नहीं, असली छुपाते लोग चेहरा नक़ाब…
अदृश्य शक्ति -जयकृष्ण पासवान
कण-कण में तू व्याप्त है, निराकार बनके मौन । हर लम्हा होता महसूस तेरा, तेरे बिना उबारे कौन।। विश्वास फूल की माली बनी, सुगंध तेरा बसेरा। भंवरे तो परागन ले…
सरस्वती वंदना – मो.मंजूर आलम
स्तुति मां वागीश्वरी स्तुति मां सरस्वती ज्ञान की देवी तू जहान की देवी तू वंदन करूं तेरी, हे शारदे! जीवन मेरा तू संवार दे। महिमा तेरी कण कण है जानता,…
वो बचपन की यादे -दीपा वर्मा
वो प्यारा सा बचपन मेरा, वो मिट्टी के बरतन और कागज के नाव बनाना, कभी-कभी याद आ ही जाती है। आपस में लड़ना, फिर एक-दूजे को मनाना। वो छोटा सा…
बालिका-शिक्षा – पामिता कुमारी
बेटी पढाईला से कछु नय बिगरतै हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै। बेटी और बेटा में भेद नय करिहो, दोनो के साथे-साथ पढाईहो लिखाइहो, बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै,…
काली घटा – जय कृष्ण पासवान
काली घटा छाई है नभ में, मौसम का रंग सुहाना है। धरती फूलों की हार है पहनी, वो हवा का रुख पुराना है ।। झम-झम करती वर्षा रानी, झुंझुर के…
बेटी – अरविंद कुमार अमर
(1)-छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। (2)-जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
पाषाण की व्यथा – मो.मंजूर आलम
रोक कर चौराहे पर बोला एक दिन मुझसे क्या तुम देख सकते हो? लथपथ हूं खून से मैं! छलनी है मेरा बदन रो और तड़प रहा हूं सिसक रहा हूं…
एकावली – सुधीर कुमार
मात्रा — १० यति — ५,५ अंत — दीर्घ २१२ , २१२ मौत से , जो डरे । आज ही , वो मरे ।। छोड़ दे , डर सभी ।…