मेरा अखंड भारत-मुकुल कुमार कपरिया

मेरा अखंड भारत नया जन्म हो रहा हमारा, नई उमंगे आएंगी, नई नवेली आदत मेरे, जीवन को चमकाएँगी। प्रदूषण मुक्त हो रहा है भारत, निर्मल गंगा का पानी है, कोरोना…

कैसे-प्रभात रमण

कैसे  माँ भारती के दिव्य रूप को मैं दिवास्वप्न समझूँ कैसे ? इसके परम पूण्य प्रताप को मैं भला भूलूँ कैसे ? वीरों के शोणित धार को कैसे मैं नीर…

धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा-मधुमिता

  धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा  परमपिता परमात्मा कहे ये मेरी आत्मा धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा। मन में ज्योत जगाया, मुझको गले से लगाया। सच की राह दिखाया, जीवन जीने की…

मीठा-खारा-एकलव्य

मीठा-खारा  दो तत्वों के मेल से मैं जल बन जाता हूँ  स्थान विशेष को पाकर रूप बदल पाता हूँ। मूल रूप से दो मैं होता मीठा-खारा मैं कहलाता पदार्थ तीन…

कैसी व्वस्था-संयुक्ता कुमारी

कैसी व्यवस्था कैसी है हमारे सभ्य समाज की व्यवस्था? कोई कब समझेगा गरीब की अवस्था? आवाज उठाओ हो रहा है अत्याचार। चहुँ ओर से घिरे देखते हैं, हम बन लाचार।।…

मैं शिक्षक हूँ-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

मैं शिक्षक हूँ मैनें तो सूरज चाँद रचा, इस जीवन का सम्मान रचा, नव अंकुर नव कोपलों में, रच बस कर जीवन मान रचा। खुद जलकर तपकर सींच रहा, खुद…

निर्वाण-मनोज कुमार दुबे

निर्वाण हे मातृभूमि वसुधा धरा वसुंधरा। अर्पित है तेरे चरण रज लोहित मेरा।। तू विभवशालिनी विश्वपालिनी दुःखहर्त्री है। भय निवारिणी शांतिकारिणी सुखकर्त्री है।। निर्मल तेरा नीर अमृत सा उत्तम। शीतल…

इस माटी की शान बढ़ाएँ-दिलीप कुमार गुप्ता

 इस माटी की शान बढाएँ  जलाकर स्वदेशी सुगंधित गुलाल लगाएँ पतंग उड़ाकर स्वदेशी स्वाभिमान का तिरंगा फहराएँ आओ! स्वदेशी अपनाएँ इस माटी की शान बढाएँ । लाखों हाथों को काम…