ये मेरा घर-मनु कुमारी

ये मेरा घर कितना प्यारा, ये मेरा घर, रहते यहाँ हम, हिलमिल कर। कितना सुन्दर, कितना मनहर, है अपना, ये मेरा घर। मम्मी-पापा, दादा-दादी, भाई-बहन, और चाचा-चाची। सब मिल रहते…

प्रकृति-अर्चना गुप्ता

प्रकृति प्रकृति की प्रवृत्ति आदिकाल से ही निश्छल सहज और सौम्य रही है करती रही है चिरकाल से सबकी तृष्णाओं को तृप्त प्रवाहित होती रही है सदा स्थूल जगत में…

बेटी-प्रभात रमण

बेटी बीजों को कोंपल बनने दो कलियों को तोड़ो मत तुम बेटी तो घर की लक्ष्मी है उससे मुँह मोड़ो मत तुम घर में चहकती रहती है कटुता भी हँस…

बेटी की अटल प्रतिज्ञा- रीना कुमारी

बेटी की अटल प्रतिज्ञा एक लड़की है भोली-भाली प्यारी प्यारी और न्यारी न्यारी। सुन्दर सुन्दर फूलों जैसे उसके तन, सुन्दर सुन्दर सोच से भरे उसके मन। हमेशा हँसती और खिल…

धमाचौकड़ी-रुचि सिन्हा

धमाचौकड़ी बच्चों के मन को हरसाई, चीं-चीं करती चिड़ियां आई। देख नजारा चिड़ियों का, चिंटू ने आवाज लगाई। सुन लो बहना सुन लो भाई , चीं-चीं करती चिड़ियां आई। शोर-शराबा…

ये बेटियाँ- मधु कुमारी

ये बेटियाँ  बेटियाँ उन्मुक्त नदियों की लहरों-सी मदमस्त हवा के ठण्डे झोंकों-सी चहकती, दमकती, मदमस्त छबिली-सी छन-छन के सुरीली गीतों-सी रिश्तों के नाजुक डोर-सी परम्परा निभाती फ़रिश्ते-सी एक मजबूत किंतु…