सुरक्षित शनिवार-अशोक कुमार

  सुरक्षित शनिवार आओ बच्चे मनाए सुरक्षित शनिवार, चेतना सत्र में प्रत्येक शनिवार को जाने, प्राकृतिक आपदाओं से बचने का उपाय, बरसात के मौसम में जब घनघोर घटा छाई, रिमझिम…

वे स्वर्णिम दिन-अवनीश कुमार

वे स्वर्णिम दिन वे भी क्या स्वर्णिम दिन थे जब सारी शिक्षा गुरु चरणों में मिल जाया करती थी वेद वेदांग, उपनिषद, ऋचा, ऋचाएँ योग, तंत्र, मंत्र, भूगोल, खगोल की…

संस्कार-अवनीश कुमार

संस्कार संस्कारों की छाँव में बड़े-बुजुर्गों की पाँव में मिल रहे सदाचरण अब भी गाँव में। संस्कारों की थाती अब भी बसती है गाँव में, ममत्व, प्रेम, त्याग, स्नेह, अर्पण…

जनसंख्या-अश्मजा प्रियदर्शिनी

जनसंख्या एक अरब सैतिश करोड़ की जनसंख्या वाला है हमारा नेशन 17.64 के दर से बढ रहा पोपूलेशन दिन दूनी, रात चौगुनी विकट हो रहा सिचुएशन वर्तमान दृश्य ऐसा है…

वृक्ष है संजीवनी-अश्मजा प्रियदर्शिनी

वृक्ष है संजीवनी वृक्ष है संजीवनी हमारी वसुंधरा की हैं शान धरती को स्वर्ग बनाते, जैसे ईश्वर का वरदान प्राणवायु देते भरते हर जीव-जन्तु में जान वृक्षों की शाखाओं पर…

आभासी दुनिया की मृगतृष्णा-विनय कुमार

आभासी दुनिया की मृगतृष्णा  सैकड़ों-हज़ारों दोस्त मिलें फ़िर भी ख़ुद को अपनापन की गलियों में अकेला ही पाया ये इंटरनेट की दुनिया हमें किधर लिये जा रही? ये तो अपनो…