उचित समय- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद पेड़ पौधे झुक जाते, जलधारा रुक जाते, जड़ पे असर होता, विनती विनय के। ईश में विश्वास करें हमेशा प्रयास करें, प्रार्थना भजन करें, पवन तनय के।…

श्रीहरि- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

श्रीराम मेरे भगवान मेरे, नित-नित मैं जपूँ बस नाम तेरे। काशी में रहूँ या रहूँ मैं कहीं, प्रभु आप रहें स्मरण में मेरे।। असुरों ने जब अत्याचार किया, धर्म-कर्म को…

गुण को नमन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

फल फूल अन्न मिले, पौष्टिक भोजन मिले, परम नमनीय है, पसीना किसान के। देश की वो रीढ़ होते, धरती में बीज होते, जिनसे आबाद मिट्टी, खेत खलियान के। देश के…

दीदी लता- नीतू रानी

चली गईं साक्षात सरस्वती जिसका नाम था दीदी लता, वह बसी हैं हमसब के हृदय में जो लिखकर चली गईं अपनी गाथा। लगता नहीं है शायद फिर वो आएँगीं कहाॅ॑…

मधुमास चैत्र मास- सुरेश कुमार गौरव

फाल्गुन मास में ही अनुभूति प्रदान कर जाती, फिर चैत्र मास आकर जगाती सुंदर भावों में! 🍂 आनंद बांटती यह मधुमास या चैत्र मास, जैसे वसंत का होता आगमन फाल्गुन…

भारत नववर्ष चैत्र मास- सुरेश कुमार गौरव

प्रकृति प्रदत्त इस नव वर्ष चैत्र मास का, जब होता शुभ प्रवेश! पेड़-पौधों, फूल, मंजरी,कलियों में ,तब आ जाते नव आवेश!! नव वातावरण का नूतन उत्साह, मन को कर देता…

अनंत शिल्पी यहाँ-एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी (अनंत शिल्पी यहाँ) विभुतियों का संसार,सितारे हैं मंच पर, पटल शोभित जहाँ,शब्दों का खेल वहाँ। उकेरे भावनाओं को, उतारे कल्पनाओं को, कलम-दवात जहाँ, रचनाकार वहाँ । नभ में…

मुखौटा-

सुंदर मुखौटा लिए चेहरे पर, ईमानदारी का रंग चढ़ाया था। ईमान बेच कर उपदेश दे रहे, गीता का कसम खाया था।। दीवारें चिख कर कुछ कह रहे थे । “आंगन…