फिर स्कूल चलें-सुधीर कुमार

Sudhir

सुधीर कुमार
फिर स्कूल चलें

हर बच्चे के हाथ में फिर से,
कापी कलम थमाना होगा।
छूट गया है स्कूल जिनसे,
उनको स्कूल लाना होगा।
काम छुड़ाकर खेतों से फिर,
घर में उन्हें बुलाना होगा।
नई कमीज और पैंट सिलाकर,
फिर से उन्हें सजाना होगा।
सुबह सवेरे गले लगाकर,
उनसे प्यार जताना होगा।
थाम के उनका हाथ हमें फिर,
वापस स्कूल पहुंचाना होगा।
प्यार भरे उनके नखरे को,
फिर से हमें उठाना होगा।
न जा पाये पढ़ने को तो,
गोद में उन्हें उठाना होगा।
फिर से पढ़ने हेतु उनमें,
नया शौक जगाना होगा।
नन्हे मुन्नों के दिल में फिर,
नई लग्न को लगाना होगा।
खुल गया है स्कूल फिर से,
बात उन्हें समझाना होगा।
गांव गांव और गली गली,
शिक्षा का अलख जगाना होगा।

सुधीर कुमार

किशनगंज बिहार

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