शहीदों का सपना- राम किशोर पाठक

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शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

आयेगी तुफानें पर हम न घबरायेंगे,

देश के गद्दारों को धूल हम चटायेंगे,

दुश्मन को सरहद से हटना होगा।

शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

भटके हैं जो अपने उन्हें राह हम दिखायेंगे,

भय व घृणा के बदले स्नेह हम बिकसायेंगे,

बस अपने अपने दुर्गुण हमको ढूँढना होगा।

शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

जगह-जगह में फैले भ्रष्टाचार हम मिटायेंगे,

सुख शांति का जीवन अब जन-जन बितायेंगे,

मानवता की आबोहवा में उन्नति करना होगा।

शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

बंजर धरती भी अब हरी-भरी हो जायेगी,

भूख मिटेगी दुनिया से और तृप्ति भी मिल जायेगी,

हर घर में प्रेम सुधा को अब बहना होगा।

शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

अपने सद्व्यवहार से नव उपवन हम खिलायेंगे,

खेल-कूद में बच्चों को जीवन का पाठ पढ़ायेंगे,

बस पाठक को अपने शिक्षक कर्म समझना होगा।

शहीदों का सच तब सपना होगा।

विश्व गुरु भारत जब अपना होगा।।

रचयिता- राम किशोर पाठक

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Ram Kishor Pathak

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