प्यारा देश हमारा है
वसुधा से जो लगन लगाये, वही देश का प्यारा है।
पावन भावन सरिता की नित, चमक रही जलधारा है।।
राम, कृष्ण का जन्मस्थल यह, भारत देश हमारा है।
ऋषि-मुनियों की वाणी से यह, लगता कितना न्यारा है।।
संतों के अनमोल वचन नित, सरस प्रेम बरसाते हैं।
रंग बिरंगे सुमन बाग के, नैनों को सरसाते हैं।।
जहाँ सवेरा शंख बजाता, पंछी प्यार सिखाते हैं।
खून-पसीने से किसान नित, सुन्दर फसल उगाते हैं।।
गाय जहाँ की प्यारी होती, बच्चे राम कहाते हैं।
कभी बने हैं शेर खिलौने, ऐसा ही दिखलाते हैं।
देशभक्ति के गीत हमारे, जोश सदा ही लाते हैं। मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, वीर यहाँ पर आते हैं।।
सदा शान में अडिग हिमालय, सबको यही बताता है।
भाव सुघड़ ऊँचा ही रखना, जन-जन को सिखलाता है।
समरसता का भाव जगाकर, अपने कदम बढ़ाते हैं।
पथ पर आई बाधाओं को, मिलकर दूर भगाते हैं।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
भागलपुर, बिहार