राही-अशोक कुमार

Ashok

राही

जिंदगी के राहों में,
रोड़े बहुत आएंगे।
संभल संभल कर चलना होगा,
कभी खाई कभी गहराई में।।

हम राही एक मगर,
पथ अनंत होगा। ऊं
सही एवं गलत की,
पहचान हमें ही करना होगा।।

जिंदगी की दो पथों पर,
पहचान जिसकी पकड़ होगी।
राह उनका सरल होगा,
जीवन उसका निर्मल होगा।।

राही भू पर आकर,
अपने पथों को भूल जाता।
सत्यता असत्यता की पहचान न करके,
अंतिम लक्ष्य तक पहुंच न पाता।।

मद मोह क्रोध लोभ में फसकर,
अपना जीवन सुखमय बनाता।
वास्तविक सुख इसमें नहीं है,
इसको वह समझ न पाता।।

पूरा जीवन तू मैं करता,
अहंकार भरी वाणी नित्य बोलकर।
दूसरे को नीचा दिखाने में राही,
कर्तव्य पथ से भटक जाता।।

दीन दुखियों की सेवा करना,
परोपकार करना भूल जाता।
जैसी करनी वैसी भरनी,
यह युक्ति इनको बाद में आता।।

राही अपनी अंतिम पथ को भूल जाता,
जीवन मरण सत्य है यह उनको नहीं भाता।
जो इस युक्ति को अपनाएं,
उनका राह सरल हो जाए।।

सारे कलह द्वेष को भूलकर,
सरल एवं सहज राह अपनाएं।
राही का अंतिम पथ मृत्यु है,
इसको कभी भूल न पाए।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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