राखी का त्योहार- अश्मजा प्रियदर्शिनी

Asmaja Priydarshni

Asmaja Priydarshni

राखी का त्योहार

सावन में इन्द्रधनुषी रंग है राखी का त्योहार 
सप्त ऋषियों के ज्ञान को समेटे राखी का त्योहार 
सप्त तुरंग की दौड़ हैं जैसे राखी का त्योहार 
फूलों की महक, चिडियों की चहक है राखी का त्योहार ।

सात सुरो का सरगम है, राखी का त्योहार ।
अनोखे संस्कार सजाता लाता खुशियाँ अपार ।
भाई-बहन के स्नेह की परंपरा निभाता संसार ।
सजीव हो जाता बचपन ,खिल उठता घर परिवार ।
संस्कृति की महिमा से सजा है ये अनोखा त्योहार ।

इस पावन पर्व की दिव्यता है अपरम्पार ।
भाई की कलाई पर सजता अटूट बंधन का प्यार ।
पूर्णिमा में छा जाती सावन की रिमझिम फुहार ।
परिवार को हर्षाते भाई-बहन का दुलार ।
रेशमी धागों का है ये अतुलनीय संस्कार ।
रंग-बिरंगे धागों में आता अद्भुत निखार ।
राखी भाई-बहन के रिश्तों का है अनुठा प्यार ।
विविध मिष्ठान, पकवान से होता भैया का सत्कार। 

भाई देते बहना को यथोचित उपहार ।
रक्षा-बंधन लाता खुशियों की बहार ।
द्रोपदी को बहन बना कृष्ण ने दिया आधार। 
कच्चे धागे का फर्ज निभाते कृष्ण का है आभार ।
रक्षा बंधन,भाई-बहन के प्रेम का अनुपम संस्कार ।
अटूट बंधन को दर्शाता राखी का त्योहार ।

रचनाकार :
अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना,बिहार
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