दिवाली में -रामकिशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

दिवाली में

सजाकर गाँव की गलियाँ करें रौशन दिवाली में।
सजा दो फूल की लड़ियाँ लगे उपवन दिवाली में।।

बताना आज है सबको तिमिर फैला घनेरा है।
मिटाना है हमें जिसको बनाकर मन दिवाली में।।

पटाखे छोड़ने में मस्त रहते हैं सभी बच्चे।
उन्हें देना खुशी यारो सदा पावन दिवाली में।।

मगर कोई बताए जो उजाले की जरूरत है।
बिताए ही बिना पल को लगा दे धन दिवाली में।।

जलाकर नेह का दीपक किसी को प्यार से बोलो।
बदलना है सही सबको यहाँ जीवन दिवाली में।।

अकेला ही जला करता घनेरा से नहीं डरता।
मिला मुझसे अगर कोई लगा बचपन दिवाली में।।

जला है दीप तो रौशन गली होकर रहेगा ही।
चलो लगकर गले आए खिले गुलशन दिवाली में।।

जला हूॅं आग में पल-पल सदा मैं राह दिखलाता।
कहो कैसे नहीं आऊँ उजाला बन दिवाली में।।

अरे! पाठक करे क्या क्या सभी को प्यार करता है।
भुलाया हर गिला शिकवा बना साजन दिवाली में।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply