शरद पूर्णिमा- महामंगला छंद गीत
स्वागत करती किरण, सोम देव मुस्कात।
सुरभित शीतल शरद, मनभावन यह रात।।
रजनी व्याकुल अजब, लगती अतिशय शांत।
श्वेत रंग की वसन, व्योम दिखे कुछ क्लांत।।
थाल सजाकर रजत, गीत मिलन की गात।
सुरभित शीतल शरद, मनभावन यह रात।।०१।।
कसक कामिनी जटिल, चारु चंद्र का योग।
आस-उल्लास सुखद, पावन नाशक रोग।।
निश्छल पुलकित प्रकृति, हृदय हरे हर्षात।
सुरभित शीतल शरद, मनभावन यह रात।।०२।।
मंजुल मंगल सरस, गहे श्रवण ध्वनि रंग।
स्वप्न सजाती सुखद, जैसे प्रीतम संग।।
कल्मस-हारी विमल, अमृत करे बरसात।
सुरभित शीतल शरद, मनभावन यह रात।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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