रौनकें वापस लौटा दो
स्कूल की दीवारें और खेल की मैदानें
हर दम हर पल ये पूछ रही है।
कब गूँजेगी कहकहे, कब लौटेगी रौनकें
हरदम हर पल ये पूछ रही है।
ऑनलाइन कक्षाओं का जोर बढ़ रहा,
पर वर्ग का शोर खो गया है।
बचपन की चंचलता फ़ोन में गुम हो गयी,
वाकई ये कहर हम पर हो गया है।
वो कबड्डी और लुका छुपाई और सदा ही,
खो खो खेल की देते दुहाई।
आज वीडियो गेम और कार्टून चैनल में
खोकर चुप हो गया है।
विद्यालय कहाँ विद्यालय सा दिख रहा अब,
बस एक भवन बन कर रह गया है।
वो रौनकें, वो किलकारियाँ, वो शरारतें,
लगता है बीते जमाने की बातें।
विद्यालय का प्रांगण उजड़ा बियावन सा
बनकर उजड़ा सा बन गया है।
हे प्रभु बस अब तो कुछ चमत्कार दिखाओ,
विद्यालय में रौनक तुम लाओ।
श्यामपट्ट की काली पट्टी को उजले चॉक से
रंगा हुआ करने का मौका दिलाओ।
वो मासूम बचपन के बीच में जिंदगी के
नये हुनर सीखने का मौका दिलाओ।
स्कूल की दीवारों में तुम मेरे प्रभु
एक बार फिर जीवंतता का एहसास कराओ।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ गुठनी सिवान बिहार