संगत
भावपूर्ण शब्दों के
संगत से रचता है गीत।
सुर, ताल और लय के
संगत से सजे मधुर संगीत।
खाली दीया का भाई
मोल नहीं कुछ खास।
तेल-बाती के संगत से ही
वह जग को करे उजास।
कुसंगत गर्त में धकेलेगा
सम्भल पाओगे न मीत।
जब संगत हो अच्छी और सच्ची
तो हारी बाजी भी जाओगे जीत।
परिश्रम और लगन के संगत से
छू सकते सफलता का आकाश।
यकीं न आए तो कभी
पलट कर देखो तुम इतिहास।
सदियों से चली आ रही
बस यही शाश्वत रीत।
जिसकी संगत जैसी
वैसी उसकी चरित।
रानी कुमारी
पूर्णियाँ बिहार
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