संरक्षण-विजय सिंह नीलकण्ठ

संरक्षण

माता के संरक्षण में 
छोटे बच्चे पलते हैं तो 
पिताजी के संरक्षण में 
बच्चे अनुशासित बनते हैं।
शिक्षक गण के संरक्षण में 
शिक्षा की ज्योति जलाते हैं 
फिर गुरुजी के संरक्षण में 
बच्चे ज्ञानी बन जाते हैं। 
वैद्य चिकित्सक के संरक्षण से 
स्वस्थ निरोग बने सभी 
बड़े बुजुर्गों के पथ पर चलकर 
सफलता प्राप्त करे सभी। 
समाज के संरक्षण से 
परिवार का रहता है अस्तित्व 
परिवार के अधीन रहकर 
सबका दिखता है व्यक्तित्व। 
अच्छी बातें सीख सीख कर 
बन जाते अच्छे चरित्र 
सभी बराई करते रहते 
मन भी हो जाता पवित्र। 
संरक्षण ही संरक्षण से 
यह जीवन संभव हो पाता 
गर संरक्षण नहीं मिले तो 
जीवन पथ पर न चल पाता। 
इसीलिए हर जन के अंदर 
संरक्षण का भाव बने 
खुशियाँ भर जाए जीवन में 
जीवन पथ पर सजग रहे।
विजय सिंह नीलकण्ठ 
सदस्य टीओबी टीम 
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