सर्दी आई

ashish amber

सर्दी आई ।

सर्दी आई, सर्दी आई ,
लेकर कंबल और रजाई ।
स्वेटर , कोट और शॉलों ने,
सबको दी पूरी गरमाई ।

पर्वत – पर्वत बर्फ गिराती,
ठंडी – ठंडी हवा चलाती ,
बगिया – बगिया फूल खिलाती ,
अंग – अंग सबका ठिठुराती ।

गरम हवाओं, रिमझिम वर्षी को ,
देकर चुपचाप विदाई ,
सर्दी आई, सर्दी आई ,
लेकर कंबल और रजाई ।

कोने में सूरज जा बैठे,
मूँछें ताने ऐंठे – ऐंठे ,
सोने जैसी धूप सुहाती ,
मीठी – मीठी नींद सुलाती ।

नई – नवेली दुल्हन जैसी,
होंठों – होंठों में मुस्काई,
सर्दी आई , सर्दी आई ,
लेकर कंबल और रजाई ।

गाँव – गाँव और शहर – शहर में,
द्वार – द्वार और डगर – डगर में ,
नित हिमकण – सी बूँदे गिरती,
धुंध – धुएँ की चादरें बिछती ।

भू – अंबर सब काँप उठे,
जब शीत लहर ने ली अंगड़ाई,
सर्दी आई, सर्दी आई ,
लेकर कंबल और रजाई ।

आशीष अम्बर
( विशिष्ट शिक्षक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply