सर्दी का मौसम… आसिफ़ इक़बाल



देखो ठंडी हवा चली,
गाँव-शहर के गली गली।
सर्दी का मौसम है आया,
प्रकृति का संदेशा लाया।

दृढ न रहो, अटल न रहो,
रहो न एक जैसा हर बार।
तुम भी खुद को बदलो ऐसे,
मौसम बदले जिस प्रकार।

सदा न गर्मी रहती है,
न रहता बसात।
अभी तो सर्दी आयी है, अभी हम देंगे इसका साथ।

चलो निकाले उनी कपड़े, कम्बल और रजाई,
ठंडी शीत हवा चली है देखो सर्दी आई।

सर्दी का मौसम है आया,
साथ में शीत हवाएं लाया।
तुम न इससे घबराना,
और न ही इससे टकराना।

गर्म वस्त्र सदा रखो तैयार,
अगर न होना है बीमार।
गर्म वस्त्र सदा रखो तैयार,
अगर न होना है बीमार।

देखो ठंडी हवा चली,
गांव शहर के गली गली।
सर्दी का मौसम है आया,
शीत हवाएं संग में लाया।

रचयिता – मोहम्मद आसिफ इकबाल
विशिष्ठ शिक्षक (उर्दू)
राजकीय बुनियादी विद्यालय उलाव बेगूसराय बिहार।

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply