शिक्षक
शिक्षक यानी गुरु, शिक्षा का पर्याय
गुरु यानी ब्रह्म ईश्वर
सु-पथ पर लाने वाले
ज्ञान-कला के पारखी
भविष्य निर्माण की नींव रखकर
सभ्य समाज की नींव डालकर
सु-समाज की कल्पना को
साकार रुप देने का नाम है
शील, प्रज्ञा और करूणा इस नाम को
ईश्वरीय दर्जा प्रदान करते हैं।
शील विनम्रता, बच्चों के भाग्य विधाता
अहंकार से कोसों दूर रहकर
शिक्षा-ज्ञान का दीप जलाकर
एक मजबूत नींव खड़ी कर
सभ्य समाज का निर्माण करते हैं
किसी भी समस्या, समाधान और
कठिन प्रश्नों के समाधान करते हैं।
शिक्षक-शिक्षार्थी एक दूजे के पूरक
लघु-बड़े का विभेद मिटाकर शिक्षक
सुसंस्कारी समाज का निर्माण करते हैं।
शिक्षक यानी प्रज्ञावान के पर्याय
अंधकार से निकाल कर
प्रकाश रुपी ज्ञान का संचरण कर
ज्ञान का दीप प्रज्वलित कर
बौद्धिक, वैचारिक, वैज्ञानिक, प्रावैधिकी,
भाषिक, तार्किक एवं शैक्षिक क्रांति लाकर
दैनिक सामाजिक सोच व समरसता को
जन-जन विद्वता के वाहक बन
करुणा-समता के पोषक बन
शिक्षार्थी के रोम-रोम में
करुणा का भाव प्रदर्शित कर
गलतियों की पहचान कर
क्षमाशीलता की संज्ञा या
उन्हें आत्मिक क्षमादान करते हैं।
क्रमश:–
सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक,पटना (बिहार)
स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित