सुस्वागतम 2022-विवेक कुमार

Vivek

Vivek

सुस्वागतम 2022

नव वर्ष की शुरुआत, पुराने यादों के साथ,
हो जाए एक बार, आज अंतिम बार,
कुछ खट्टी कुछ मीठी, भूली बिसरी बात,
वर्ष 2021 का कोरोना दहशत में हुई, शुरुआत,
जिंदगी ने बदल दी, अपनी रफ्तार,
जीवन को मिला सबक, पहली बार,
मानो जोर का झटका लगा हो, इस बार,
अमन, चैन ने छोड़ दिया था सबका साथ,
त्राहि त्राहि लोग कर, रहे ईश्वर का जप रहे थे राग,
पंछी की तरह कैद हो गए, भूल गए काज,
अपनो ने भी साथ था छोड़ा, वो दिन भी थे क्या खास,
मुंह छुपाने की आई नौबत, कोई न आए पास,
ऐसा नजारा प्रकृति ने दिखाया नहीं आया रास,
कुंठित हो मन हुआ उदास, बुझ गई आस,
ऐसे मंजर को थामा, हम सभी का प्रयास,
अंतिम क्षण में मिला सुखद एहसास,
मिले सबक ने बदल दिया अपना परिवेश,
धन दौलत कुछ भी नहीं, इंसान का है मोल,
पूरी दुनिया को किया, सोचने पर मजबूर,
कितना भी कोई आगे बढ़ जाए, गलती की सजा मिलती कठोर,
जो हुआ पछतावा तो है, पर है एक आस,
नए साल के आगमन का बेसब्री से है इंतजार,
शुभ मंगल बेला में हो मनभावन शुरुआत,
कलरव कर चिड़िया गाएं, उन्मुक्त गगन में,
फिर जग में छाए, चैन और अमन,
ईर्ष्या द्वेष का मन से कर, दमन,
आओ मिलकर करें शंखनाद,
गाएं एक सुर में नव मंगल मल्हार,
सुस्वागतम, सुस्वागतम, सुस्वागतम 2022.

विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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