भविष्य बनने से पहले , इतिहास न बनो तुम । कर्त्तव्य के आलोक को , विस्मृत न करो तुम । समझो न ऐसा कार्य कोई , जिसे तुम कर सकते…
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अनुशासन- अमरनाथ त्रिवेदी
आत्म शासन ही अनुशासन , यह पल -पल हमे बताता है । सड़क हो या अन्य कोई जगह , मर्यादा में रहना हमे सिखाता है । हम क्या सोचें ;…
इंसान बना हैवान- अमरनाथ त्रिवेदी
इंसान बना हैवान , कि धरती डोल उठी । न रही मानवता की शान, कि धरती बोल उठी । जहाँ -जहाँ फूल खिलते थे , बो दिए हमने काँटे ।…
प्रेरणा -अमरनाथ त्रिवेदी
युवा दिल हो न हो तो भी , अलग कुछ काम कर जाऊँ । जबतक साँस हो मेरी , वतन के नाम कर जाऊँ । जो वतन के हो गए…
लक्ष्य- अमरनाथ त्रिवेदी
जाना है दूर मंजिल तुम्हे , चाहे मुश्किलों का दौर हो । सोए से जब जगे तुम , चाहे हर मुश्किलों का ठौर हो । मुश्किलों को छोड़ यूँ ,…
शिक्षा -अमरनाथ त्रिवेदी
है प्रयत्न सफलता का पोषक , यह मर्म हमारे साथ रहे । हर भाँति मनुज में हो शांति , यदि शिक्षा का हम साथ गहें । शिक्षा को पाकर धन्य…
राष्ट्रभक्ति – अमरनाथ त्रिवेदी
राष्ट्रभावना की प्रबल ज्वाल में , नवगीत नित्य गाता हूँ । स्वप्नों में दिव्य चिनगारी है वह , जिसे रोज लिए फिरता हूँ । प्राण समर्पण करने से राष्ट्रहित ,…
कर्मपथ – अमरनाथ त्रिवेदी
जहाँ चाह है ; मंज़िल वहीं है , इसे न भूलें हम सभी । माना पथ में संकटे अनेक , पर हम न भागेंगे कभी । कर्म के सुमेल से…
कर्मगति -अमरनाथ त्रिवेदी
यहाँ काल के कपाल पर , निज कर्म अमिट होता गया । जो स्वप्न में धरे रह गए , वह सर्वस्व स्वाहा हो गया । निज को सुधार सँवार लो…
पुरुष व्यथा -अमरनाथ त्रिवेदी
हैं पुरुष विवश कैसे होते ? जैसे मकड़ा स्वनिर्मित जाल में । मानव का यह आधा हिस्सा , पड़ जाता भव – जाल में । केवल एक पक्ष को लेकर…