धक्के खाते लोग, दर-दर भटकते लोग, जहरीली हवा निगलते लोग, सपनों को रौंदते–कुचलते, एक-दूसरे से आगे निकल जाने की चाह में अपराध की सीढ़ी चढ़ते लोग, सुकून की तलाश में…
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बड़ा कठिन है रे मन -अवनीश कुमार
(श्रुतिकीर्ति की अंतरवेदना) बड़ा कठिन है रे मन! राजरानी बनकर अवध में रहना, और राजर्षि पति शत्रुघ्न का भ्रातृधर्म निभाने को संकल्प लेना और… बिन कहे प्रिय से दूरी का…
सुन री दीया – अवनीश कुमार
सुन री दीया काश! तू सुन पाती, मेरी विरह-व्यथा समझ पाती। तेरी जलती लौ से, क्या-क्या अनुमान लगाऊं? मद्धिम पड़ती लौ से, क्या-क्या कयास लगाऊं? बिन पिया, दीया, तुझे क्या-क्या…
शुभ्रक की अमर गाथा – अवनीश कुमार
आओ सुनाऊँ तुम्हें, एक बेज़ुबान, स्वामीभक्त शुभ्रक की अमर कहानी… जब ऐबक ने राजपुताना लूटा, मेवाड़ का वैभव मिट्टी में रौंदा, राजा रावल सामंत सिंह का रक्त बहाया, राजकुमार करण…
काश!सबके किस्मत मे होता- अवनीश कुमार
सबके किस्मत मे नही होता दादी की बनाई आचार चट करना और फिर मुस्कुराकर उनके पीछे छिप जाना सबके किस्मत मे नही होता दादू के कंधे पर बैठकर कान्हा बन…
वो होली का अंदाज़ कहाँ -अवनीश कुमार
अब वो फनकार कहाँ, अब वो रंगों का चटकार कहाँ, अब वो अल्हड़-सी शरारतें कहाँ, अब वो फाल्गुन का अंदाज़ कहाँ? अब वो ढोल-मंजीरा सजी शाम कहाँ, सजी महफ़िल में…
कबीर फिर ना आना इस देश- अवनीश कुमार
रंजिशे बढ़ने लगी है अब इस देश में बात-बात में धार्मिक उन्माद का आतंक दिखने लगा है अब इस देश में हिंदू मुस्लिम लड़ पड़ते हैं अपने हीं देश में…
रंग बदलते चेहरे – अवनीश कुमार
मैं तेरे पास कोई मेरे जैसा शख्स ढूंढता हूं, तेरी अकड़ को ठिकाने लगता देखता हूं। तेरी मूंछों को ताव देने पर भी हौसले के साथ गिरते देखता हूं। तुझे…
निर्वाण दृश्य – अवनीश कुमार
अस्सी की अवस्था जब होने को आई बुद्ध ने संघ में निर्वाण की इच्छा जताई सुनते हीं संघ के बौद्ध भिक्षु बिलख- बिलख कर रो पड़े। शाल पेड़ की ओट…
कुछ खबर है आपको- अवनीश कुमार
कुछ खबर है आपको आप बैठे रेस्तरां में जब ले रहे सुस्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद हाथों में डाले पत्नी का हाथ पकड़ा मोबाइल बच्चे के हाथ कर रहे आप दोनो…