उम्मीदों के नवदीप जलाएँ-अर्चना गुप्ता

उम्मीदों के नवदीप जलाएँ उर आच्छादित ईर्ष्या-क्रोध-अहम चाहकर भी मिटा ना पाए ये हम घृणा, द्वेष और कलुषित भाव संग भर गया अंतस तक तिमिर सघन बुझे-बुझे से हैं जो…