जाग कर प्रातःकाल,निकलूँ अकेले राह, मेरे दोनों चक्षुओं में,भरे कई रंग हैं। मृदुल झंकार सुन,नव अनुराग चुन, मन पुलकित होता, जीने का ये ढ़ंग है। उस पथ को मैं चला,जहाँ…
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हल्का हो गया बस्ता – एस.के.पूनम
रात्रि-पहर जल्दी से सो जाता था, बोझिल मन से प्रातः उठ जाता था, सहम जाता बस्ते का बोझ उठाने से, कंधों की वेदना से तड़प जाता था। जाग गया है…
मन की चाह -एस.के.पूनम
मुक्त रहूँ निशा के स्याह चादर से, बहते शीतल पवन के झोंकों में, भोर भए अंगडाई लूँ नूतन वेला में, प्रकृति की सौंदर्य समाहित हो मुझमें। बंद चक्षुओं को खोलता…
पार्थ- एस.के.पूनम
हे आचार्य तुम ही पार्थ हो” हे पार्थ!तेरा कर्मभूमि विद्यालय है, हे आचार्य!रणभूमि भी शिक्षालय है, लेखनी और किताबें तेरा अस्त्रशस्त्र है, तो फिर तुम्हें किस बात का भय है।…
काल-खण्ड – एस.के.पूनम
संसार में समय एक सा रहता नहीं है सदा, आज जहाँ उत्सव- काल है कल वहाँ शोकाकुल होगा, आज जहाँ सद्भावनाओं का कीर्ति स्तम्भ है, कल वहाँ अपयशों का बाजार…
राही-एस. के. पूनम
राही हे राही! जिस राह पर चल पड़े हैं क़दम, उस राह को कभी छोड़ना नहीं, राहें होगी हजारों कंटकों से भरी, पर अपने अधरों पर रखना मुस्कान। हे राही!…
भारत दर्शन-एस. के. पूनम
भारत दर्शन भारत देव भूमि है, अतुल्य धरा है, समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है, प्राचीन सभ्यताओं में बेसुमार है, यहां वेद रचनाओं की रचना स्मृति है। गंगा, यमुना, नर्मदा, ताप्ती,…
स्तनपान धर्म है-एस. के. पूनम
स्तनपान धर्म है नौ माह अपनी कोख में सहेजी, अपने पोषण से ही पोषित की, हर पल अपने ख्यालों में रखीं, मेरी सुरक्षा में सदैव तत्पर रहीं। मुझे तुम धरती…
पाठशाला से रिश्ता-एस. के. पूनम
पाठशाला से रिश्ता वह खड़ा है पाठशाला के द्वार पर, पार किया है उम्र का छठा सावन, बाल-सुलभ मुस्कान है अधरों पर, सजल नयनों में है आशा का दीप। अंग-सौष्ठव…
कागज़ की आत्मकथा-एस. के. पूनम
कागज़ की आत्मकथा मेरा जन्मभूमि चीन कहलाता है, मुझे माह, तारीख तो याद नहीं है, पर हाँ! वर्ष 201 ई.पू. अंकित है, त्साई-लुन मेरे जनक कहलाते हैं। मैं वृक्षों के…