दीपावली – एस.के.पूनम

शीतल कार्तिक मास, आशाओं के फूल खिले, करें अब खरीदारी,कई मिले हैं संदेश। बाजारों में भीडभाड़, खरीदारों की कतारें, चकाचौंध होती आँखें,करें पालन निर्देश। सात समंदर पार, रहता है परिवार,…

विघ्नेश बुलाइए – एस.के.पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधा-मनहरण (विघ्नेश बुलाइए) संसार में है अंधेरा, चहुंदिशा में बखेरा, निकले हैं समाधान,दीप को जलाइए। हिया बसे मन मोरा, प्रदर्श दिखे हैं गोरा, अवसर है पावन,प्रीत को…

रूपघनाक्षरी – एस.के.पूनम

भानु खड़ा द्वार पर, घूँघट उठाती निशा, शीत का आगाज हुआ,ओढ़ ले कंबल आज। सुबह पत्तियाँ करे, तुहिन से श्रृंगार जी, सूर्य प्रभा पड़ते ही सप्तरंग करे नाज़। पक्षियों का…

विजयादशमी राज – एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विधा:-रूपघनाक्षरी (विजयादशमी राज) दस दिन श्रमदान, चहुँओर मिला मान, सम्मान का अधिकार,पाकर करता नाज। सत्ता पाने का संघर्ष, रावण का घुला हर्ष, अस्त-व्यस्त छिन्न भाव,भूल गया मूल काज।…

मुक्तहस्त स्नान दान – एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विधा:-रूपघनाक्षरी विषय:-(मुक्तहस्त स्नान दान) बीता है ग्रहणकाल, सुतक का अंत हुआ, सरिता के तट पर,करते हैं योगी ध्यान। डुबकी लगाते गंग, पाप कर्म विसर्जित, हृदय हों स्वच्छ और,मुक्तहस्त…

मनहरण घनाक्षरी – एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विधा:-मनहरण घनाक्षरी पूनम की निशा काल, स्वर्णिम है मेरा हाल, रवि दिखा प्राची दिशा,चमकता माथ है। पक्षी करे कलरव, आलस्य को त्याग कर, स्नान,ध्यान नित्य कर्म,सदैव से साथ…

प्रभु सुन लें पुकार- एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विधा:-रूपघनाक्षरी (प्रभु सुन लें पुकार) रात है अमावस्या की, प्रकाश है खद्योतों से, हृदय में ध्यान कर,सूर्य प्रभा से संसार। हिया में विकार भरा, सोच कर परेशान, प्रयास…

दुर्गार्चना – एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विधा:-रुप घनाक्षरी विषय:-दुर्गार्चना/नवरात्रि विराजीं हैं घर-घर, प्रफुल्लित तन-मन, थाल सजी दीप जले,अब आरती उतार। मिष्ठान का भोग लगे, वितरण प्रसाद का, अनुगत समर्पण,श्रद्धालुओं की कतार। लोभ मोह त्याग…

प्रेम रस घोलती – एस.के.पूनम

कलकल झरझर, बहती है निर्झरिणी, साहिल से टकराते ही लहरें बोलती। प्रवाह हो अवरुद्ध, बहती है कटकर, जीवन में यही सीख,प्रेमरस घोलती। अथाह है जल राशि, करुणामय है साथी, प्यासे…

ईश्वर की लीला जान – एस.के.पूनम

खींची रेखा किस्मत की, बर्षों की थी इंतजार, कोसों दूर आन मिली,ईश्वर की लीला जान। माँग है सिंदूरी लाल, बिंदिया है सजी भाल मुस्कान अधरों पर,पतिव्रता अभिमान। करती निर्जला व्रत,…