तो क्या हुआ? जो हार गया मैं! अब भी मैं यहीं खड़ा हूँ, पूरे दम खम से, यहीं, यहीं, लक्ष्य के गिर्द। हार से अलग, जीत कहां है, दो नाम…
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हिंदी मेरी हिंदी-गिरिधर कुमार
आओ आज के दिन कुछ इतना कर लेते हैं हिंदी दिवस! का स्वागतम मन प्राणों से करते हैं! आओ करें अनुभूत जो असल है, निरन्तर है जो सत्य है, कल्पना…
आत्मलय-गिरिधर कुमार
देखता हूँ गौर से क्षितिज के पास लेकिन सम्मुख सा सभी कुछ के साथ स्वयं की प्रतीति ऊहापोह और विश्रांतता दोनों ही! यह तो अपना ही चेहरा है! यह तो…
भागेगा कोरोना-गिरिधर कुमार
भागेगा कोरोना! अगर ठान लो, मन्त्र यह तुम अगर जान लो। यह कोई बड़ी बात नहीं, तुम भी कर सकते हो, कोरोना से, मेरे भाई, तुम भी लड़ सकते हो।…
राखी-गिरिधर कुमार
स्नेहसिक्त प्रेम अमोल यह बन्धन प्यारा बस अनमोल भीगी आंखें हैं बहना की भाई मूक विह्वल है यह पावन पुनीत पूजा है इस रिश्ते से धरती धवल है इस युग…
देश मेरा देश-गिरिधर कुमार
देश मेरा देश मेरा प्यार मेरा देश यह मान है सम्मान है श्रद्धा है अरमान है सारी दुनिया से जो अच्छा वह अपना हिंदुस्तान है। हर धर्म के…
विश्व स्तनपान सप्ताह-गिरिधर कुमार
समझ रही है दुनिया अब मां की शाश्वत ममता को जो अमृत है जीवनदायी, उस स्निग्ध सरिता को… मात्र पोषण का हेतु नहीं बढ़कर है इस से स्तनपान, वात्सल्य की…
पैबन्द लगी कविता-गिरिधर कुमार
हजार पैबन्द लगी चिथड़े चिथड़े से बुनी बनी टुकड़ों में बुदबुदाती कविता… रास्ते के उदास मील के पत्थर की तरह अगले शहर की दूरी भर बतलाती भावशून्य हो गयी…
आज की कविता-गिरिधर कुमार
आज की कविता संकोच कुछ नहीं है अब कहने में की हारने लगी है कविता कि मेरी कविता अब म्लान रूग्ण और बेजान हो गयी है। झूठ के उत्साह से…
योग दिवस-गिरिधर कुमार
योग दिवस योग यह संयोग यह प्रकृति का मेल यह मानव और सृष्टि का कोलाहल से विरक्ति का जीवन का प्रथम स्रोत है यह स्थिर चित्त, मनोयोग है यह। पूरब…