कल हमको तुम ना पाओगे बताओ कैसे हमें भुलाओगे ? कैसे उलझनों को सुलझाओगे? किसपे झुंझलाहटों को बरपाओगे? कल हमको तुम ना पाओगे संग किसके तुम मुस्कुराओगे ? किस्से कहानिया…
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शिक्षा का स्वरूप-चंचला तिवारी
शिक्षा का स्वरूप शिक्षक शिक्षण और शिक्षा नए स्तर से करनी होगी समीक्षा पांडेमिक के इस दौर में हम सबको रखनी होगी दृढ़ इच्छा। बाल मन के मनोभाव कर रहे…
एक था मोहन-चंचला तिवारी
एक था मोहन नाम था मोहन जिसमें था अभुतपूर्व सम्मोहन कृष्णा के नगरी में जन्मे, नाम था मोहन राम को थे वो ध्याते जाने कैसे सबके मन में समाते अहिंसा,…
मेरा भारत मगर एक है-चंचला तिवारी
मेरा भारत मगर एक है रंग तो अनेक है रंगरेज़ मगर एक हैं त्यौहार तो अनेक उत्सव मगर एक हैं इमारतें अलग अलग बुनियाद मगर एक हैं राहे सबकी अलग…
सपने-चंचला तिवारी
सपने आँखो ने रात एक सपना सजाया सपने मे मैंने अपने सपने को पाया उस सपने ने मुझे हर पल जगाया हर क्षण मुझे बस वही नज़र आया आँखो ने…
कुछ तो कहें-चंचला तिवारी
कुछ तो कहें कई दिन हुए कुछ कहा नहीं एक युग हुआ कुछ सहा नहीं आदि हैं कुछ ना कहने का चुपचाप सब देखते रहने का। किसी और के शुरू…