जख्मों को सहलाते रहिये-स्नेहलता द्विवेदी आर्या

ज़ख्मों को सहलाते रहिये दिल की रीत निभाते रहिये, जख्मों को सहलाते रहिये। संकट में है पड़ी मानवता, मानव धर्म निभाते रहिये। जंग कठिन है रण है बाकी, अपना धर्म…