जन्मभूमि-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

जन्मभूमि जन्मभूमि की पावन स्मृति खत्म कभी मत होने दें। नील गगन से देख विहग नीड़ कभी न खोने दें।। देश-भक्ति की सलिला में नित मिलजुल हम स्नान करें। मन…