दही चूड़ा चीनी आलूदम हो, हमरा नामन लगैय छै। नामन लगैय छै हमरा…२।। देखैल चलो मसूदन के द्वार- हो… हमरा नामन लगैय छै।। परबो तिहारो म पूजा-पाठ करला । देवीआरु…
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मैं सलाम करता हूं- जयकृष्णा पासवान
घर के दहलीज से , बाहर निकल कर । माथे पे जुनून का , पगड़ी पहनकर ।। समाज के ताने और, जमाने की बोली सुनकर। किया परचम लहराया है, इस…
ठुठरती ठंड- जयकृष्णा पासवान
गगन में कोहरे छाऐ हुए, बादल की छलकती है शमा। जग-सारा विरान हो गए, ठुठरती ठंड की है पनाह ।। कोई चिराग की आशंका नहीं, दिवाकर भी ख़ामोश पड़े। नित-रोज़…
नव-वर्ष आया है- जयकृष्णा पासवान
फूलों की तरह खिल-खिलाते, नव-वर्ष आया है। कलियों में छुपा-कर , जीवन का सौगात लाया है।। सुशोभित होंगे मस्तक पर, मेरी कामयाबी । फिजाओं संग खुशबू का, सैलाब लाया है।।…
आख़िर हूं मैं कहां-जयकृष्णा पासवान
उड़ता है मन, परिंदों का आसमां । खिलता हुआ फूल, भंवरों का नग़मा।। ढुंढने चल पड़ा मैं, खुशियों का जहां। आख़िर हूं मैं कहां…२.।। नदियों के किनारे में, पर्वतों के…
आबह की होतैय-जयकृष्णा पासवान
कत्ह सपना सजै-लह छेला, किस्मत के आड़ म। सब धरले रही गेलैय, जीवन के मंजधार म।। हाथ आबह मली क, तक़दीर की पैयतैय । हे विधाता आबह की होतैय।। घर…
आज वीरान क्यों है- जयकृष्णा पासवान
आज धरती पर आसमां, वीरान क्यों है। चांद और सितारे, भी तो वहीं है। मगर हवा की सुर्खियां, इतना परेशान क्यों है।। हरेक-लम्हों की बेचैनी, ईंटों के दिवारों में दिखती…
ठ्काय गेला- जयकृष्णा पासवान
अंगिका आज को दिन कहिन्ह, उदास लागैय छै । वार-वार हमरा कहिन्ह, प्यास लागैय छै ।। ग़रीबी के पसीना हम्म, गमछी स पोछला । कि करबै हम्म केकरो, नाय पुछला…
सुबह-शाम लिख दिया- जयकृष्णा पासवान
मैं जमीं हूं तो वो, आसमां है मेरा । हर फिजाओं की रवानी पर, नाम लिख दिया।। इत्र बनके खुशबू अब, महकने लगे। कोरा कागज़ पर हमने, सुबह-शाम लिख दिया।।…
ताज़- जयकृष्णा पासवान
सुगम फरिश्तों के , ताज़ है आप । ममताऔर करुणा, की नाज़ है आप ।। “दिल इसे पाकर भला क्यों नहीं झूमे ” । मेरी धड़कनों की, आवाज़ है आप।।…