मैं पंछी बन उन्मुक्त गगन में, दुनियां का भ्रमण करुं। काली-घटा की बलखाती बादल में भींग जाऊं।। यह मेरी अभिलाषा है। मैं सूर्य के प्रकाश की तरह, प्रकाश-मान हो जाऊं।…
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आहट – जयकृष्णा पासवान
वक्त अभी ठहरने का है, और समय बहुत परेशान हो- गया है। मन का अभी सुनिए मत, दिल अभी लहू-लुहान हो गया है।। अश्क़ का दरिया अभी, सुखता ही नहीं…
बधाई हो -जयकृष्णा पासवान
धरती की तू पताल रस से, विद्या का रसपान किया। बादल- बरसे और बिजली, चमकी फिर दरिया भी तूफान किया।। कश्तियां बनकर डटे रहे, सागर के मंजधार में । साहिल…
जिंदगी का सफ़र- जयकृष्णा पासवान
घटा बनके मस्त गगन में, कजरी संग झूम जाता है। “राहों के मुसाफिर” यादों में बहकर।। सपनों का ख़्वाब सजाता है, “चुपके से देख कर फूल और” कलियां मनही मनमुस्कुराती…
प्रकृति का उपहार-जयकृष्णा पासवान
प्रकृति का उपहार एक बेल है सौंदर्य ,चंदन का मून । पेट लीवर सब ठीक करें, स्वास्थ्य वर्धक के गुण।। कन- कन बेल की वो मिठास, कई रोगो के नाशक…
दुर्बल -जयकृष्णा पासवान
दुर्बल को ना सताईये, जाकी माटी होय । दुर्बल जग शीतल करे, आपहु शीतल होय।। मधुर वचन से जग लुभा, कठोर वचन अहंकारी। जैसे धू-धू समा जले, तीनों कुल विनाशकारी।।…