तटस्थता सभ्यता के इस नए दौर में वो बेबाक़पन, अपनों संग ठहाके और अल्हड़पन जाने कहाँ हो गए गुम ….. जिंदगी की धूप-छाँव में तपिश को झेलते झेलते मनुष्य का…
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